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रहस्यमाई चश्मा भाग - 25




संत समाज के प्रत्येक संत ने शुभा कि देख करने का जिम्मा उठाया जब वह कुम्भकर्णी निद्रा में सो रही थी बारी बारी से सभी उसकी निगरानी करते कि निद्रा में शुभा कि क्या सक्रियता या प्रतिक्रियाएं शारीरिक रूप से है संत समाज यह जानने कि कोशिश कर रहा था कि शुभा के मन शरीर पर मतिष्क का कोई नियंत्रण है या नही क्योकि उसके जाग्रत अवस्था मे उसके क्रिया कलाप ऐसे लगते जैसे शुभा के मस्तिष्क का उसके शारिरिक नियंत्रण से प्रभाव समाप्त हो चुका है लेकिन सच्छाई यह नही थी,,,,,

क्योकि शुभा के निद्रा को पूरे पांच दिन बीत चुके थे और इन पांच दिनों में संत समाज ने जो अनुभूति कि थी वह विलक्षण थी नींद में शुभा कभी कभी बहुत जोरो से चिल्लाती और बोलती कोई तो बचाओ मेरे संकल्प संवर्धन भैया को माई बाबूजी को बड़ी बेरहमी लोग उन्हें मार रहे है काट रहे है जैसे कोई तरकारी काट रहा हो कभी कभी बड़े भावुक और बेबस हो,,,, विराज को पुकारते बोलती क्यो,,,, तुम कहाँ हो तुम्हारी देख रेख कौन करता होगा तुम तो भीष्म प्रतिज्ञा करके ही गए थे कि तुम मुझसे विवाह नही करोगे तो किसी से नही करोगे शुभा के द्वारा निद्रा में जो बड़बड़ाने के अंदाज़ में बोला जा रहा था वह शब्द विल्कुल स्प्ष्ट थे लेकिन जब वह बड़बड़ाती अर्धनिद्रा एव अर्ध चेतन अवस्था मे रहती यही वह अवस्था है जिसमे कोई भी व्यक्ति अपने भविष्य के संकेतों या वर्तमान एव अतीत से सम्बंधित घट रही या घट चुकी घटनाओं को अपने अंतर्मन काया में देखता एव अनुभव करता है,,,,,,

 जिसे स्वप्न कहा जाता है एव विज्ञान कि भाषा मे पैरा लाइफ फिलिंग अर्थात प्रत्यक्ष जीवन के बाद जीवन का जीवन जिसमे प्रत्यक्ष जीवन कि भूत वर्तमान एव भविष्य से जुड़ी संभावनाओं एव घटनाओं की संवेदनाओ का आभास अंतर्मन एव मानस पटल पर छाया कि तरह प्रतिबिंबित होकर निद्रा में भी प्रत्यक्ष जीवन का एहसास कराता है शुभा इसी अवस्था मे निद्रा में थी संत समाज उसकी अर्धनिद्रा अभिव्यक्ति का अर्थ निकालने के लिए हर सम्भव प्रायास कर रहा था संत समाज इस निष्कर्ष पर पहुंचा की शुभा के जीवन मे दो अति महत्त्वपूर्ण कड़ियाँ घटनाओँ के रूप में एक साथ प्रभवी है पहला तो वह किसी भयंकर दुर्घटना जो किसी आततायी समूह द्वारा कि गयी है में शुभा के अपनो ने जीवन गंवाया है,,,,,

 जिसे शुभा जिसकी शुभा स्वंय प्रत्यक्षदर्शी है दूसरा प्रमुख कारक कारण संत समाज को यह समझ मे आ रहा था कि शुभा का किसी से वैवाहिक स्तर तक का सम्बंध उंसे छोड़ कर कही चला गया है संत समाज कि दोनों ही बाते सही थी लेकिन दोनों कि वास्तविकता तक पहुँचपाना संत समाज के लिए लगभग असंभव ।आदिवासी समाज जब भी इस दौरान अपनी शुभा बिटिया का हाल चाल लेने आता संत समाज पूरी ईमानदारी से शुभा के विषय मे जानकारी देता और उन्हें शुभा के प्रत्यक्ष स्थिति से दृष्टिगत कराता क्योकि संत समाज को यह भी भय था कि यदि आदिवासी समाज को रंच मात्र भी संदेह हुआ कि संत समाज ने उनकी दी जिम्मेदारी उनके समाज मानस कि मानस पुत्री कि देख रेख में कोई कोताही हुई है,,,,

तो संत समाज के लिये वन प्रदेश में रहना ही असंभव हो जाएगा अतः संत समाज अपनी जिम्मेदारियों को लेकर पूर्णतया जागरूक एव संवेदनशील था ।


पण्डित तीरथ राज को आज जाने क्या हो गया था कि शुभा द्वारा अपने विषय मे बताये गए प्रत्येक सच्चाई मंगलम चौधरी को ऐसे बता रहे थे जैसे आज उन्होंने ब्राह्मण एव पण्डित होने के सामाजिक दायित्व का निर्वहन कर ब्राह्मण कुल में जन्म एव कुलोचित पांडित्य कार्य को नई ऊंचाई प्रदान कर रहे हो क्योकि शुभा ने अपने विषय मे कुछ भी बताने से पूर्व पंडित तीरथ राज से गंगा जल लेकर शिवलिंग के समक्ष वचन लिया था कि उसके द्वारा बताई गई स्वंय के विषय मे सच्छाई किसी को नही बताएंगे अपने अंतिम सांसों तक आखिर पण्डित तीरथ राज को अजनवी मंगलम चौधरी में ऐसा क्या दिखा जिसके वशीभूत उन्होंने वह सच्छाई ही बता दी जिसे जीवन पर्यंत किसी से ना बताने की प्रतिज्ञा शुभा के समक्ष ली थी तो क्या पण्डित तीरथ राज शुभा के लापता होने के बाद शुभा को दिए वचन कि जिम्मेदारियों को भूल गए या उन्हें ऐसा लगा कि शायद ईश्वर मंगलम चौधरी को माध्यम बनाकर कोई चमत्कार ही कर दे दोनों ही बाते निर्थक थी पुहारी तीरथ राज ने स्वंय मंगलम चौधरी को बताया कि चौधरी साहब शुभा ने ही बताया था,,,,


कि उसका विराज दरभंगा एव मिथिलांचल का बहुत बड़े आदमी है आप भी उसी कद पद के प्रतीत होते है अतः मुझे ऐसा आभास हुआ कि सम्बवतः आप विराज तक पहुंच सके और शुभा बिटिया को उसके जीवन का पथ उजियार नसीब जीवन के किसी पड़ाव पर हो जाय औऱ हां चौधरी साहब मैंने तो शुभा बिटिया को दिया वचन जिसे भोले नाथ को एव गंगाजल हाथ मे रख कर दिया था!

 उंसे भोले नाथ के समक्ष आपको गंगाजल पान कराकर आपको बता दिया मैंने अपने ब्राह्मण होने की मर्यादा का उलंघन किया है या भोले नाथ के पुजारी होने का मानदंड यह निर्णय ईश्वर स्वंय करेगा आपसे करबद्ध निवेदन है कि संम्भवः हो तो मेरे द्वारा दी गयी जानकारी के आधार पर शुभा बिटिया को न्याय दिलाने में अपनी शक्ति समर्थ रशूख का प्रयोग अवश्य करे और मेरे द्वारा बताई गई जानकारियां तब तक गोपनीय ही रखें जब तक शुभा बिटिया स्वंय नही सारी सच्चाई नही बताती,,,,,

यदि शुभा नही मिल पाती है तो आप मेरी जानकारियों को लेकर ही श्मशान जाएंगे चौधरी साहब मुझे वचन दीजिये मंगलम चौधरी ने सिर्फ इतना ही कहा तीरथ राज जी आकाश दशों दिशाओं एव किन्नर नर अपने कुल देवी देवताओं देवी देवताओं अवनि का वचन देता हूँ की आपके द्वारा शुभा के विषय मे बताये गयी सच्चाई मेरे साथ ही मुझमें समा जाएगी,,,,,,


जारी है










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4 Comments

kashish

09-Sep-2023 08:03 AM

Amazing part

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RISHITA

02-Sep-2023 09:31 AM

Nice

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madhura

01-Sep-2023 10:36 AM

Best part

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